Monday, September 3, 2012

गज़ल – उँगलियाँ मत उठे


उँगलियों पर न सबको  नचाया  करो
टेढ़ी   उँगली    घी  में  डुबाया  करो |

जान  ले    कहीं   ये  अदा   मदभरी
उँगली  दाँतो  तले   मत  दबाया  करो |

सीखते  हैं  सभी , थाम कर  उँगलियाँ
नन्हें बच्चों को चलना सिखाया करो |

काम   ऐसे   करो, उँगलियाँ  मत  उठे
उँगलियों   से  सदा   गुदगुदाया  करो |

अंगुलीमार   जाने   है   किस  भेष  में
उँगलियाँ  यूँ  न  सब  पर उठाया करो |

(ओबीओ लाइव तरही मुशायरा ,अंक - 26  में सम्मिलित मेरी दूसरी गज़ल.......)

अरुण कुमार निगम
आदित्यनगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
शम्भूश्री अपार्ट्मेंट, विजय नगर
जबलपुर (म.प्र.)

15 comments:

  1. मस्त है अरुण जी ||
    अभी पहुंचा ||

    नोट: आप वह नंबर मेल कर दीजिये |

    ReplyDelete
  2. Replies
    1. बेहतरीन,गजल अरुण जी,,,,

      अर्ज है,,,
      आँख के इशारे ही बुलाने के लिए है काफी
      उगलियाँ दिखाकर हमें पास मत बुलाया करो,,,,

      Delete
  3. उँगलियों पर न सबको नचाया करो
    टेढ़ी उँगली न घी में डुबाया करो |... :)

    ReplyDelete
  4. वाह सर जी..
    क्या खूब गजल है...
    बहुत बढ़िया...
    और एकदम सही भी...
    :-)

    ReplyDelete
  5. सीखते हैं सभी , थाम कर उँगलियाँ
    नन्हें बच्चों को चलना सिखाया करो ...

    बहुत खूब अरुण जी ... कमाल के शेर है ये इस गज़ल का ... लाजवाब ..

    ReplyDelete
  6. वाह अरुण सर क्या बात है बेहतरीन ग़ज़ल , बधाई स्वीकारें

    ReplyDelete
  7. अंगुलीमार जाने है किस भेष में
    उँगलियाँ यूँ न सब पर उठाया करो |
    ...बहुत खूब!
    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

    ReplyDelete
  8. सीखते हैं सभी उँगलियाँ थामकर
    नन्हें बच्चों को चलना सिखाया करो ...वाह क्या कहने सर, अनुपम भाव संयोजन बधाई...

    ReplyDelete
  9. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 4/9/12 को चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा चर्चा मंच http://charchamanch.blogspot.inपर की जायेगी|

    ReplyDelete
  10. बहुत बढ़िया,बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..

    ReplyDelete
  11. उँगलियों पर न सबको नचाया करो
    टेढ़ी उँगली न घी में डुबाया करो |
    sunder pangtiyan....

    ReplyDelete
  12. अंगुलियाँ कुछ उठेंगी तुम्हरी तरफ भी
    हर ओर अनुग्लियाँ ना उठाया करो :)
    अँगुलियों के बिम्ब पर बेहतरीन ग़ज़ल !

    ReplyDelete
  13. काम ऐसे करो, उँगलियाँ मत उठे
    उँगलियों से सदा गुदगुदाया करो |

    आज कल तो सबको दूसरों पर उँगलियाँ उठाने की आदत है

    ReplyDelete
  14. उँगलियों को जो भींचो ..तो मुट्ठी बने
    उनकी ताक़त को यूँ तुम न ज़ाया करो

    ReplyDelete