tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post8362102071398199027..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): रखिया बरी-बिजौरी..... (छत्तीसगढ़ी)अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-54192975852577887512012-03-24T09:08:38.247+05:302012-03-24T09:08:38.247+05:30का बात कहे samdhi जी तुम्हार बड़ी बने mithais,
नरे...का बात कहे samdhi जी तुम्हार बड़ी बने mithais,<br />नरेंद्र कुमार साहू ...dr.priya ashishhttps://www.blogger.com/profile/13219779429858059097noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-59004662782360844062012-03-09T18:41:41.965+05:302012-03-09T18:41:41.965+05:30बरी बनायें म जतका मेहनत लागथे ओत्केच मेहनत ए रचना ...बरी बनायें म जतका मेहनत लागथे ओत्केच मेहनत ए रचना म लागे होही अरुण भईया... फेर सुग्घर बरी बने हवे... बधाई...S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib')https://www.blogger.com/profile/10992209593666997359noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-82212651645713470322012-03-06T00:17:28.121+05:302012-03-06T00:17:28.121+05:30बहुत बढ़िया छत्तीसगढ़ी मे भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचन...बहुत बढ़िया छत्तीसगढ़ी मे भाव अभिव्यक्ति,बेहतरीन रचना,...<br />अरुण जी,बहुत२ बधाई होली की,... <br /><br />NEW POST...<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/03/blog-post.html#comment-form" rel="nofollow">फिर से आई होली...</a><br />NEW POST <a href="http://dheerendra21.blogspot.in/2012/03/dheerendradheer.html" rel="nofollow">फुहार...डिस्को रंग...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-90319360817254694352012-03-05T23:46:41.158+05:302012-03-05T23:46:41.158+05:30भाई अरुण आपने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के एक महत्वपूर्...भाई अरुण आपने छत्तीसगढ़ की संस्कृति के एक महत्वपूर्ण स्थिति “बड़ी” के बनाने का बहुत सुन्दर चित्रण किया है हमारे यहाँ जब बड़ी बनती है तो घर में त्यौहार जैसा माहोल बन जाता है सारे रिश्ते नाते दार इस कार्य में मिलजुल कर बड़ी बनाने में सहयोग करते है यहाँ.... (फर= फल) (उरिद=उढ़द की दाल) (रतिहा= रात में) (चरिह्या=बांस की टुकनी) (तरिया=तालाब) (बड़े फजर=सुबह) (नँगत=खूब) (चिबोर-चिबोर=रगड़ रगड़कर) (फोकला=छिलका) (उज्जर=सफ़ेद) (पहटनीन=कामवाली) (सुग्घर=बढ़िया) <br /> (दुनो झिन खा लिहीं इही डहर=दोनों यहीं खा लेंगे) (तियारी =तैय्यारी) (तिहार कस कस =त्यौहार जैसे) (सकलाये =एकत्र) (माची=मचिया) (घेरी – बेरी= बार बार) (तात तात=गरम गरम) अरुण भाई ने पुरे छत्तीसगढ़ी संस्कृति को लय बद्ध कर दिया है रखिय की बड़ी बनाते समय बनने वाले सिचुएसन का बहुत सुन्दर चित्रण किया है मजा आगया ....UMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-23783259767350227162012-03-05T13:34:30.548+05:302012-03-05T13:34:30.548+05:30वाह ... कितना समय लगा समझने में अब क्या बताएं .. प...वाह ... कितना समय लगा समझने में अब क्या बताएं .. पर जब समझ गए तो आनंद भी दूना हो गया ... <br />होली की शुभ कामनाएं ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-42430629066387782962012-03-05T11:00:18.928+05:302012-03-05T11:00:18.928+05:30समझने में वक़्त लगा :):) अच्छी प्प्रस्तुति ॥होली...समझने में वक़्त लगा :):) अच्छी प्प्रस्तुति ॥होली की शुभकामनायेंसंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-16143306705458319622012-03-05T10:48:51.167+05:302012-03-05T10:48:51.167+05:30हालांकि पूरा तो समझ तो नहीं आ रही भाषा
पर पढ़ने म...हालांकि पूरा तो समझ तो नहीं आ रही भाषा <br />पर पढ़ने में आनंद बहुत आ रहा है जी.<br /><br />होली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ.<br /><br />आप 'मेरी बात....' पर भी आईएगा,अरुण जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-50086971539125778992012-03-05T10:33:03.936+05:302012-03-05T10:33:03.936+05:30मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।
पापड बेले अनव...मूँग दले होरा भुने, उरद उरसिला कूट ।<br />पापड बेले अनवरत, खाय दूसरा लूट ।।<br /> <br />मालपुआ गुझिया मिली, मजेदार मधु स्वादु ।<br />स्वादु-धन्वा मन विकल, गुझरौटी कर जादु ।।<br /><br />मन के लड्डू मन रहे, लाल-पेर हो जाय ।<br />रंग बदलती आशिकी, झूठ सफ़ेद बनाय ।।<br /><br />भाँग खाय बौराय के, खेलें सन्त-महन्त ।<br />नशा उतरते ही खिला, मुँह पर मियाँ बसन्त ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-66731628243188160802012-03-05T10:31:45.921+05:302012-03-05T10:31:45.921+05:30बढ़िया प्रस्तुति
आभार ।।
दिनेश की टिप्पणी : आ...बढ़िया प्रस्तुति <br /><br />आभार ।।<br /><br /> दिनेश की टिप्पणी : आपका लिंक <br /><br /> dineshkidillagi.blogspot.com<br /><br /><br />होली है होलो हुलस, हुल्लड़ हुन हुल्लास।<br />कामयाब काया किलक, होय पूर्ण सब आस ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com