tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post6231634120752323107..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): भली बहस का अंत कर.........अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-3627370907388210902012-11-20T12:56:42.369+05:302012-11-20T12:56:42.369+05:30नोक झोंक के रूप में बना रहे संवाद
प्रीत रीत के ब...नोक झोंक के रूप में बना रहे संवाद <br />प्रीत रीत के बीच में आए न कोई विवाद । <br /><br />बहुत सुंदर उपसंहार ।संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-87731002338182574222012-11-10T16:56:32.866+05:302012-11-10T16:56:32.866+05:30AABHAAR Sir JeeAABHAAR Sir Jeeरविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-85973860112923620342012-11-09T13:35:34.037+05:302012-11-09T13:35:34.037+05:30मेवा देने के लिये , खुद सहते हैं चोट
जग म...मेवा देने के लिये , खुद सहते हैं चोट<br />जग में सम्मानित हुए,श्रीफल औ’ अखरोट<br />श्रीफल औ’ अखरोट,कठिन होता है बनना<br />यूँ ही मुश्किल जोकर के परिधान पहनना<br />अपना कर परिहास , रविकर करते सेवा<br />खुद सहते हैं चोट , बाँटते सबको मेवा ||<br /><br />भीषण थे आघात, आसान नहिं था सहना|<br />देख आपका धैर्य, नतमस्तक हुई बहना|<br />सादरऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-11269593797861923362012-11-09T00:19:06.905+05:302012-11-09T00:19:06.905+05:30RAVKAR AUR NIGAM KI MUTHBHED KAR--- आज अजब सी शर...RAVKAR AUR NIGAM KI MUTHBHED KAR--- आज अजब सी शरारत मेरे साथ हुई,<br />मेरे घर को छोड़ पूरे शहर में बरसात हुई||अज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-73475975692427979332012-11-08T21:09:16.941+05:302012-11-08T21:09:16.941+05:30दया-मया धर आय हौ , संगी जय जोहार
गुरतुर लागिस गोठ ...दया-मया धर आय हौ , संगी जय जोहार<br />गुरतुर लागिस गोठ हर,सुंदर लगिस विचार ||<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-61147781379202142252012-11-08T20:47:30.720+05:302012-11-08T20:47:30.720+05:30दो शब्दों ने आपके, दिया हमें उत्साह
नेह दीप दिखला ...दो शब्दों ने आपके, दिया हमें उत्साह<br />नेह दीप दिखला रहा,नई नवेली राह ||<br /><br />आभार........अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-71069226902742283312012-11-08T20:41:24.789+05:302012-11-08T20:41:24.789+05:30बारिश होवे प्रीति की,क्या सावन आषाढ़
जग में बाढ़े प्...बारिश होवे प्रीति की,क्या सावन आषाढ़<br />जग में बाढ़े प्रेम यूँ , रिश्ते होयँ प्रगाढ़<br />रिश्ते होयँ प्रगाढ़ , बाढ़ में डूबें ऐसे<br />व्यर्थ लगे श्रृंगार ,ये दौलत रुपिये पैसे<br />भौतिकता की कभी,जगे ना मनमें ख्वाहिश<br />क्या सावन आषाढ़,प्रीति की होवे बारिश ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-32548498790625907882012-11-08T20:17:01.583+05:302012-11-08T20:17:01.583+05:30सुंदर परिभाषित किया,सामाजिक विन्यास
पतझर रोए है कभ...सुंदर परिभाषित किया,सामाजिक विन्यास<br />पतझर रोए है कभी, कभी हँसे मधुमास<br />कभी हँसे मधुमास,चले दुनियाँ का खेला<br />रवि दहता चुपचाप,गगन के बीच अकेला<br />पर्वत झरने जीव-जंतु वन झील समुंदर<br />वसुधा का विन्यास सजाया रवि ने सुंदर ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-29231374027980439372012-11-08T19:56:50.352+05:302012-11-08T19:56:50.352+05:30what a nice combination of words and feelongs,exln...what a nice combination of words and feelongs,exlntअज़ीज़ जौनपुरीhttps://www.blogger.com/profile/16132551098493345036noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-75695854564934252372012-11-08T19:55:16.022+05:302012-11-08T19:55:16.022+05:30छंदों से शुरुवात की , सूर्यकांत जी वाह
जहाँ चाह ह...छंदों से शुरुवात की , सूर्यकांत जी वाह<br />जहाँ चाह होती वहाँ ,स्वयं निकलती राह<br />स्वयं निकलती राह,परिश्रम व्यर्थ न जाए<br />रसरी आवत जात ,अरे पाहन घिस जाए<br />भ्रमर हुए क्यों मुग्ध ,पूछिए मकरंदों से<br />सूर्यकांत जी वाह , जुड़े रहिए छंदों से ||<br /><br /><br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-12280548218631074722012-11-08T19:36:12.512+05:302012-11-08T19:36:12.512+05:30भाईचारा हम कहें , चारा समझें धीर
बेचारा कवि क्य...भाईचारा हम कहें , चारा समझें धीर<br />बेचारा कवि क्या करे, गुपचुप सहता पीर<br />गुपचुप सहता पीर , शब्द गर एक उचारा<br />गया नकारा हाय !मिला केवल विष खारा<br />पर्वत का दिल चीर,निकलती निर्मल धारा<br />तट दो लेकिन खूब , निभाते भाईचारा ||अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-33668129241395479302012-11-08T14:23:18.364+05:302012-11-08T14:23:18.364+05:30दोहे से दोहे मिले, दोहों की आ गई बाढ़।
शब्दों की बा...दोहे से दोहे मिले, दोहों की आ गई बाढ़।<br />शब्दों की बारिश हुई, नहिं सावन नहीं आषाढ़।।अरुन अनन्तhttps://www.blogger.com/profile/02927778303930940566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-51870003673903519882012-11-08T13:14:34.786+05:302012-11-08T13:14:34.786+05:30 खेला चौसर कबड्डी, क्रिकेट वालीबाल ।
गोइंयाँ कुल ... खेला चौसर कबड्डी, क्रिकेट वालीबाल ।<br /><br />गोइंयाँ कुल कमजोर ले, चलता धांसू चाल ।<br /><br />चलता धांसू चाल, जीतता कहीं अगरचे ।<br /><br />खुश अंतर का हाल, करे सब कोई चरचे ।<br /><br />शंकर का आभार, पिए सब जहर अकेला ।<br /><br />उमा करें कल्याण, रहेगा चालू खेला ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-628507756900493762012-11-08T12:07:34.837+05:302012-11-08T12:07:34.837+05:30बेहतरीन रचना एवं अभिव्यक्ति के लिए आभारबेहतरीन रचना एवं <a href="http://lalitdotcom.blogspot.in/2012/11/blog-post_8.html" rel="nofollow">अभिव्यक्ति</a> के लिए आभार<br />ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-14430598691752526572012-11-08T08:24:25.493+05:302012-11-08T08:24:25.493+05:30नकारात्मक नकारे, रखते मन में धीर |
सकारात्मक पक्ष ...नकारात्मक नकारे, रखते मन में धीर |<br />सकारात्मक पक्ष से, कभी नहीं हो पीर |<br />कभी नहीं हो पीर, जलधि का मंथन करके |<br />जलता नहीं शरीर, मिले घट अमृत भरके |<br />करलो प्यारे पान, पिए रविकर विष खारा |<br />हो सबका कल्याण, नहीं सिद्धांत नकारा ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-61555440709516017452012-11-08T00:06:44.780+05:302012-11-08T00:06:44.780+05:30सामाजिक विन्यास में, इंसा का हर रूप |
हर क्षण बदला...सामाजिक विन्यास में, इंसा का हर रूप |<br />हर क्षण बदला जा रहा,कभु छाँव कभू धूप ||<br /><br />रविकर सरल सुभाव है,चंचल मन कह जाय |<br />कह दिया सो कह दिया, करें नहीं परवाय ||<br /><br />नदिया तरिया तैरती, रविकर कवि की नाव | <br />कुंडली बन है बह रहि, उमडत घुमडत भाव || <br /><br />कभी ह्रदय है रो पड़े, कभी करे परिहास |<br />कभी तेज चल जात है, गले पड़े है फांस || <br /><br />रिश्तों को है जोड़के, कर विनती में तात |<br />सूरज सम बन जात है, अपने रविकर भ्रात ||<br />UMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-83592922959111133062012-11-07T21:55:16.804+05:302012-11-07T21:55:16.804+05:30उपसंहार बता रहे,खीचे फिर फिर चित्र
बातों में आना न...उपसंहार बता रहे,खीचे फिर फिर चित्र<br />बातों में आना नही,समझे रविकर मित्र<br /><br />समझे रविकर मित्र,अरुण जी चारा डाले<br />लालच में खा लिया,फिर पड़ जाये न पाले<br /><br />देता धीर सलाह,संभलना इस वार में <br />फस जाये ये अरुण,अपने उपसंहार में,,,,,<br /><br />RECENT POST<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/11/blog-post_6.html#comment-form" rel="nofollow">:..........सागर</a> <br /> धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-32221242411606753972012-11-07T20:16:06.394+05:302012-11-07T20:16:06.394+05:30लाज़वाब प्रस्तुति...लाज़वाब प्रस्तुति...Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-67378224711306488842012-11-07T19:37:54.909+05:302012-11-07T19:37:54.909+05:30शब्द संयोजन नपे तुले, दिए आंट प्रेम डोर।
एक छोर ...शब्द संयोजन नपे तुले, दिए आंट प्रेम डोर।<br /><br /> एक छोर ननदी धरे, धरे भाभी दूसरो छोर।।<br /><br /> .......इतना बढ़िया सजाते हैं शब्द मोतियों से <br /><br /> पंक्तियाँ निगम भैया......लाजवाब! शानदार <br /><br /> रचना ......सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-30776715774123492582012-11-07T19:35:34.432+05:302012-11-07T19:35:34.432+05:30
भाई जी दिखला रहे, परंपरा से प्रीति |
खलु भी नायक ...<br />भाई जी दिखला रहे, परंपरा से प्रीति |<br />खलु भी नायक बन रहे, बड़ी पुरानी रीति |<br /><br />बड़ी पुरानी रीति, नीति सम्मत हैं बातें |<br />बता रहे तहजीब, सुधरते रिश्ते नाते | <br /><br />चौथा वाद-विवाद, मजे ले जग मुस्काई |<br />रहे हमेशा याद, एक हैं भाभी भाई |रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com