tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post9131542454730014978..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): मिसरी की डली लगे......अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-5384524413228440622011-07-13T13:21:36.343+05:302011-07-13T13:21:36.343+05:30एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा
रास रचाती वृन्दा...एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा<br />रास रचाती वृन्दावन की गली लगे...<br /><br />वाह गोकुल के प्रेम को शेरों में उतार दिया ... बहुत सुन्दर ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-57820481639091424822011-07-13T09:39:23.679+05:302011-07-13T09:39:23.679+05:30मक्खन जैसा हृदय , प्रेम गोरस जैसा
गोकुल की ग्वालन,...मक्खन जैसा हृदय , प्रेम गोरस जैसा<br />गोकुल की ग्वालन, मथुरा की गली लगे.<br /><br />क्या बात है अरुण भाई,कमाल की कविता है.<br />मन भक्तिमय हो गया.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-70974041452972322802011-07-12T19:50:17.902+05:302011-07-12T19:50:17.902+05:30आपकी ग़ज़ल पहली बार पढ़ी। बहुत अच्छा लिखते हैं आप ...आपकी ग़ज़ल पहली बार पढ़ी। बहुत अच्छा लिखते हैं आप तो।<br />आपकी पिछली कविताएं और ग़ज़लें एक-एक कर के पढ़ूंगा।महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-81154131641459737522011-07-11T19:15:18.206+05:302011-07-11T19:15:18.206+05:30एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा
रास रचाती वृन्दा...एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा<br />रास रचाती वृन्दावन की गली लगे.<br />बहुत अच्छा लगा यह प्रयोग। पूरी ग़ज़ल ही बहुत अच्छी लगी।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-40776373784992646972011-07-10T20:05:56.584+05:302011-07-10T20:05:56.584+05:30एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा
रास रचाती वृन्दा...एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा<br />रास रचाती वृन्दावन की गली लगे.<br />....<br />वाह ! बहुत सुन्दर प्रवाहमयी गज़ल..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-68157063901206682922011-07-08T19:11:34.342+05:302011-07-08T19:11:34.342+05:30बेहद खुबसूरत रचना.आभारबेहद खुबसूरत रचना.आभारAmrita Tanmayhttps://www.blogger.com/profile/06785912345168519887noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-15652909994163704212011-07-08T11:49:27.064+05:302011-07-08T11:49:27.064+05:30बेहतरीन गज़ल लिखी है सर!
सादरबेहतरीन गज़ल लिखी है सर!<br /><br />सादरYashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-10249681762018384992011-07-08T10:39:17.058+05:302011-07-08T10:39:17.058+05:30मक्खन जैसा हृदय , प्रेम गोरस जैसा
गोकुल की ग्वालन,...मक्खन जैसा हृदय , प्रेम गोरस जैसा<br />गोकुल की ग्वालन, मथुरा की गली लगे.<br /><br />आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-28759393112075972442011-07-08T09:59:30.319+05:302011-07-08T09:59:30.319+05:30tabhi.... yah poori rachna pyaari lagetabhi.... yah poori rachna pyaari lageरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-88627860619363933862011-07-08T09:48:48.460+05:302011-07-08T09:48:48.460+05:30एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा
रास रचाती वृन्दा...एक आँख में राधा, दूसरी में कान्हा<br />रास रचाती वृन्दावन की गली लगे.<br /><br />Bahut Sunder.... डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-85214647887056776132011-07-08T00:05:02.822+05:302011-07-08T00:05:02.822+05:30बहुत सुन्दर ..आपने तो गोकुल , मथुरा और वृन्दावन सब...बहुत सुन्दर ..आपने तो गोकुल , मथुरा और वृन्दावन सब घुमा दिया ..मिस्री कि डली सी रचना :):)संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-49083363936415360582011-07-07T21:29:01.287+05:302011-07-07T21:29:01.287+05:30बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने!बहुत बढ़िया ग़ज़ल लिखी है आपने!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com