tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post1895397269719023119..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): चाँद , उमर के साथ दिखाये , प्राणप्रियेअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-86803798706513032412012-09-02T06:05:52.376+05:302012-09-02T06:05:52.376+05:30समय के साथ साथ चाँद का बदलता रूप...बेहतरीन रचना !!...समय के साथ साथ चाँद का बदलता रूप...बेहतरीन रचना !!ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-44102706503621345532012-08-29T23:18:31.806+05:302012-08-29T23:18:31.806+05:30wah bato bato me apne poora drishy hi prastut kr d...wah bato bato me apne poora drishy hi prastut kr diya .....lajbab rachana ke liye badhai nigam ji Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-67803355963996578142012-08-13T22:54:12.859+05:302012-08-13T22:54:12.859+05:30चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये
तन्हा रह गये, ...चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये<br />तन्हा रह गये, सपन सजाये प्राणप्रिये |<br />चाँद – सरीखी वृद्धावस्था रोती है<br />अब आँखों को चाँद न भाये प्राणप्रिये |<br />हाँ अरुण जी समय रुकता कहाँ है हाथ नहीं आता एक दिन सब कुछ बदल ही जाता है <br />भ्रमर ५ SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR5https://www.blogger.com/profile/11163697127232399998noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-12572327696729465852012-08-13T22:14:06.019+05:302012-08-13T22:14:06.019+05:30समय के साथ परिस्थितियाँ बदलती हैं, सोच बदलती हैं ....समय के साथ परिस्थितियाँ बदलती हैं, सोच बदलती हैं ..<br />सार्थक रचना !<br />शिवनाथ कुमारhttps://www.blogger.com/profile/02984719301812684420noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-83524780417233195152012-08-13T17:17:24.390+05:302012-08-13T17:17:24.390+05:30चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये
तन्हा रह गये, ...चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये<br />तन्हा रह गये, सपन सजाये प्राणप्रिये |<br />चाँद – सरीखी वृद्धावस्था रोती है<br />अब आँखों को चाँद न भाये प्राणप्रिये |...वाह: बहुत भावपूर्ण रचना..आभारMaheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-31405875606250546992012-08-13T12:44:48.206+05:302012-08-13T12:44:48.206+05:30चाँद – सरीखी वृद्धावस्था रोती है
अब आँखों को च...चाँद – सरीखी वृद्धावस्था रोती है<br />अब आँखों को चाँद न भाये प्राणप्रिये ..<br /><br />कहाँ से कहाँ ले गए ... लाजवाब अरुण जी ... प्रभावी अंदाज़ से लाजवाब अभिव्यक्ति ...दिगम्बर नासवाhttps://www.blogger.com/profile/11793607017463281505noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-1419421712719194352012-08-13T11:50:17.073+05:302012-08-13T11:50:17.073+05:30वाह ... बेहतरीन वाह ... बेहतरीन सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-22725502116854575462012-08-13T10:15:23.280+05:302012-08-13T10:15:23.280+05:30शीतलता से दे रहा, मन को शान्ति अपार।
इसी लिए तो कर...शीतलता से दे रहा, मन को शान्ति अपार।<br />इसी लिए तो कर रहे, चन्दा से सब प्यार।।डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-46814296444523108412012-08-13T10:15:15.855+05:302012-08-13T10:15:15.855+05:30 चाँद , उमर के साथ दिखाये , प्राणप्रिये
अरुण कु... चाँद , उमर के साथ दिखाये , प्राणप्रिये<br /> अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ)<br /><br /> <br /><br />हरदम आकर धूम मचाये मनमौजी |<br />चमचे से ही हलुवा खाए मनमौजी |<br />तिरछे चितवन की चोरी न पकड़ी जाये-<br />चुपके से झट दायें बाएं मनमौजी |<br />चंदा सारी रात ताकता निश्चर हरकत -<br />चंदा मोटा हिस्सा पाए मनमौजी |<br />फिजा गई सड़ गल कर छोड़ी यह दुनिया-<br />चाँद आज भी मौज मनाये मनमौजी ||<br /><br />रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-22028893854811017092012-08-13T00:43:07.395+05:302012-08-13T00:43:07.395+05:30भाव व्यंजना माधुर्य से एक कदम आगे निकल के व्यंग्य ...भाव व्यंजना माधुर्य से एक कदम आगे निकल के व्यंग्य रस और फिर चंदा का यमक /स्लेषार्थ अरुण कुमार ही पैदा कर सकतें हैं .गा गा गीत सुलाजा अब तो प्राण प्रिय ....लोरी तुझे बुलाये अब तो प्राण प्रिय ...चंदा भी थक के सो जाए प्राण प्रिय ...ऐसी एक सुनादे अब तो तान प्रिय ....कृपया यहाँ भी पधारें -<br />शनिवार, 11 अगस्त 2012<br />कंधों , बाजू और हाथों की तकलीफों के लिए भी है का -इरो -प्रेक्टिकvirendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-86535498595250702892012-08-12T22:02:38.259+05:302012-08-12T22:02:38.259+05:30बहुत शानदार बधाई ........बहुत शानदार बधाई ........Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-31720233631712557642012-08-12T21:13:41.835+05:302012-08-12T21:13:41.835+05:30वक्त के साथ बदली चाँद की परिभाषा
बहुत सुन्दर
:-)...वक्त के साथ बदली चाँद की परिभाषा <br />बहुत सुन्दर <br />:-)मेरा मन पंछी साhttps://www.blogger.com/profile/10176279210326491085noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-10256536116606744482012-08-12T20:56:57.435+05:302012-08-12T20:56:57.435+05:30चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये
तन्हा रह गये, ...चंदा - तारे , साथ छोड़ परदेस गये<br />तन्हा रह गये, सपन सजाये प्राणप्रिये |<br />चाँद – सरीखी वृद्धावस्था रोती है<br />अब आँखों को चाँद न भाये प्राणप्रिये |...वाह: बहुत सुन्दर रचना..आभार..Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-20332059735889368902012-08-12T20:35:01.708+05:302012-08-12T20:35:01.708+05:30सुन्दर...
बहुत सुन्दर....
सादर
अनुसुन्दर...<br />बहुत सुन्दर....<br /><br />सादर<br />अनुANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-7185515511696000332012-08-12T19:35:37.413+05:302012-08-12T19:35:37.413+05:30तरुणाई की अरुणाई दृग में उतरी
हर सूरत में चाँद दि...तरुणाई की अरुणाई दृग में उतरी<br />हर सूरत में चाँद दिखाये प्राणप्रिये |<br />सजनी लिखती मन की पाती मेंहदी से<br />चंदा साजन तक पहुँचाये प्राणप्रिये ,,,,<br /><br />बहुत शानदार भावों से पूर्ण सुन्दर पंक्तियाँ ,,,,,,अरुण जी बहुत२ बधाई ,,,,,<br />RECENT POST <a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/08/blog-post_9.html" rel="nofollow">...: पांच सौ के नोट में.....</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-84812542678185955482012-08-12T19:05:42.103+05:302012-08-12T19:05:42.103+05:30दम भर चंदा इधर,उधर मुँह फेर थका
नर्गिस ने क्या र...दम भर चंदा इधर,उधर मुँह फेर थका<br />नर्गिस ने क्या राज सुनाये प्राणप्रिये |<br />दो - दो चाँद खिले हैं ,एक है बदली में<br />दूजा , घूँघट में शरमाये प्राणप्रिये |<br />बहुत ही भावना से ओत -प्रोत बहुत ही शानदार शब्दों में लिखी शानदार प्रस्तुति /बहुत बधाई आपको /<br /><br /><br /><br />मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है /जरुर पधारें /prerna argalhttps://www.blogger.com/profile/11905363361845183539noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-84049444434865561562012-08-12T18:24:59.140+05:302012-08-12T18:24:59.140+05:30उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के चर्चा मंच पर ।।उत्कृष्ट प्रस्तुति सोमवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर ।।रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-23711975368096206042012-08-12T18:02:07.078+05:302012-08-12T18:02:07.078+05:30बहुत सी यादें ताजी करती कविता |
"नून तेल लकड़...बहुत सी यादें ताजी करती कविता |<br /><br />"नून तेल लकड़ी का चक्कर जब सर पर छाया <br />चाँद रोटी में नजर आए प्राणप्रिये "<br /><br />ध्यान योग्य पंक्ति लगी |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.com