tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post1815715950093699714..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): किसको घर कहता है पगल्रेअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger20125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-74080107240373401182012-05-18T05:54:51.715+05:302012-05-18T05:54:51.715+05:30बढ़िया बारह मासी लिखी है |
आशाबढ़िया बारह मासी लिखी है |<br />आशाAsha Lata Saxenahttps://www.blogger.com/profile/16407569651427462917noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-29479692126827359272012-05-15T22:29:42.697+05:302012-05-15T22:29:42.697+05:30बहुत हि बढिया गीत .....जीवन का सत्य हैबहुत हि बढिया गीत .....जीवन का सत्य हैUMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-1536367891242229572012-05-14T08:31:25.438+05:302012-05-14T08:31:25.438+05:30क्या बात है...बहुत खूब!!क्या बात है...बहुत खूब!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-48308807460946473712012-05-14T07:52:46.240+05:302012-05-14T07:52:46.240+05:30जीवन भर का शोक मनाये
किसको इतनी है फुरसत
तीज-नहावन...जीवन भर का शोक मनाये<br />किसको इतनी है फुरसत<br />तीज-नहावन निपट गया फिर<br />नहीं सुनोगे चीत्कारें... <br /><br />सच्चाई की तस्वीर...बहुत सुंदर कविता.ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-36802735088804117562012-05-13T23:38:11.609+05:302012-05-13T23:38:11.609+05:30तन से निकले प्राण पखेरू
काठी है तैयार खड़ी
फिर मखम...तन से निकले प्राण पखेरू<br />काठी है तैयार खड़ी<br />फिर मखमल की सेज कहाँ<br />बस !अंगारे ही अंगारे.<br /><br /><br />बहुत सुंदर ... सत्य को कहती सुंदर रचना ...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-26317121986020357222012-05-13T20:45:37.242+05:302012-05-13T20:45:37.242+05:30bahut sunder kavita.bahut sunder kavita.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-53541279638314838152012-05-13T20:41:23.687+05:302012-05-13T20:41:23.687+05:30जो अपना घर कुरिया फूँके
वही हमारे संग चले
कोई कहता...जो अपना घर कुरिया फूँके<br />वही हमारे संग चले<br />कोई कहता है यायावर<br />कोई कहता बंजारे.....यार्थार्थ को दर्शाती अभिवयक्ति.....विभूति"https://www.blogger.com/profile/11649118618261078185noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-76300969918612188122012-05-13T19:02:13.054+05:302012-05-13T19:02:13.054+05:30तन से निकले प्राण पखेरू
काठी है तैयार खड़ी
फिर मखम...तन से निकले प्राण पखेरू<br />काठी है तैयार खड़ी<br />फिर मखमल की सेज कहाँ<br />बस !अंगारे ही अंगारे.<br />बहुत ही प्यारा सशक्त गीत क्या कहनेRajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-17652943812698965022012-05-13T14:09:59.759+05:302012-05-13T14:09:59.759+05:30सुंदर गीत.
सच्चाई को आइना.सुंदर गीत. <br />सच्चाई को आइना.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-17857257981737396322012-05-13T13:45:09.804+05:302012-05-13T13:45:09.804+05:30सच है एक दिन जब हम रुख़सत करेंगे तो सब यहीं धरा रह...सच है एक दिन जब हम रुख़सत करेंगे तो सब यहीं धरा रह जाएगा।<br />एक अच्छी रचना।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-74007928983888721312012-05-13T13:27:51.344+05:302012-05-13T13:27:51.344+05:30सच्चाई से रूबरू कराती सुंदर रचना ....
शुभकामनाएँ!सच्चाई से रूबरू कराती सुंदर रचना ....<br />शुभकामनाएँ!अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-71720944280622028892012-05-13T13:24:34.125+05:302012-05-13T13:24:34.125+05:30सुन्दर रचना वाहसुन्दर रचना वाहचन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’https://www.blogger.com/profile/01920903528978970291noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-72286857740753845322012-05-13T10:50:23.681+05:302012-05-13T10:50:23.681+05:30जीवन भर का शोक मनाये
किसको इतनी है फुरसत
तीज-नहावन...जीवन भर का शोक मनाये<br />किसको इतनी है फुरसत<br />तीज-नहावन निपट गया फिर<br />नहीं सुनोगे चीत्कारें... गूढ़ सचरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-41065137628402448172012-05-13T09:16:56.617+05:302012-05-13T09:16:56.617+05:30जीवन भर का शोक मनाये
किसको इतनी है फुरसत
तीज-नहावन...जीवन भर का शोक मनाये<br />किसको इतनी है फुरसत<br />तीज-नहावन निपट गया फिर<br />नहीं सुनोगे चीत्कारें.<br />यही तो है कटु यथार्थ!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-144057645412733662012-05-12T23:39:35.210+05:302012-05-12T23:39:35.210+05:30दिल की अदला-बदली करके
हमने सारा जग जीता
नहीं माथ प...दिल की अदला-बदली करके<br />हमने सारा जग जीता<br />नहीं माथ पर मुकुट हमारे<br />नहीं हाथ में तलवारें.....बहुत खुबसूरत पंक्तियाँ.....Maheshwari kanerihttps://www.blogger.com/profile/07497968987033633340noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-65482629486288832562012-05-12T23:06:50.039+05:302012-05-12T23:06:50.039+05:30♥
प्रियवर अरुण कुमार निगम जी
सस्नेह अभिवादन ...<b><a href="http://shabdswarrang.blogspot.com/" rel="nofollow"><br />♥</a></b><b> </b><br /><br /><b><i> प्रियवर अरुण कुमार निगम जी </i></b> <br />सस्नेह अभिवादन !<br />नमस्कार !<br /><b> </b><br />बहुत श्रेष्ठ गीत लिखा है आपने …<br /><b> दिल की अदला-बदली करके<br />हमने सारा जग जीता<br />नहीं माथ पर मुकुट हमारे<br />नहीं हाथ में तलवारें</b><br />मन जीत ले इतना प्यारा बंध है यह तो…<br />वाह वाह !<br /><br /># भाभीजी के लिखे गीतों के लिए भी बधाई और आभार ! <br />ईश्वर से प्रार्थना है कि आप कवि युगल ऐसे ही सुंदर रचनाएं समाज को देते रहें …<br /><br /><b>हार्दिक शुभकामनाएं ! मंगलकामनाएं ! </b> <br />-राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-62297836680176721562012-05-12T22:57:25.048+05:302012-05-12T22:57:25.048+05:30वाह.........
जीवन भर का शोक मनाये
किसको इतनी है फ...वाह.........<br /><br />जीवन भर का शोक मनाये<br />किसको इतनी है फुरसत<br />तीज-नहावन निपट गया फिर<br />नहीं सुनोगे चीत्कारें.<br /><br />बहुत गहन भाव उकेरे है कविता में...<br />सादर.ANULATA RAJ NAIRhttps://www.blogger.com/profile/02386833556494189702noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-52655319033778621682012-05-12T22:07:21.733+05:302012-05-12T22:07:21.733+05:30बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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आपकी इस प्रविष्टी की चर्...बहुत सुन्दर प्रस्तुति!<br />--<br />आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार के <a href="http://charchamanch.blogspot.in/" rel="nofollow">चर्चा मंच</a> पर भी होगी!<br />सूचनार्थ!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-50559266683073955322012-05-12T21:06:52.855+05:302012-05-12T21:06:52.855+05:30तन से निकले प्राण पखेरू
काठी है तैयार खड़ी
फिर मखमल...तन से निकले प्राण पखेरू<br />काठी है तैयार खड़ी<br />फिर मखमल की सेज कहाँ<br />बस !अंगारे ही अंगारे.<br /><br />बहुत ही सुंदर भाव पुर्ण अभिव्यक्ति,बेहतरीन प्रस्तुति,....<br />रचना बहुत अच्छी लगी,....निगम जी,....बधाई <br /><br />MY RECENT POST ,...<a href="http://dheerendra11.blogspot.in/2012/05/blog-post_10.html#links" rel="nofollow">काव्यान्जलि ...: आज मुझे गाने दो,...</a>धीरेन्द्र सिंह भदौरिया https://www.blogger.com/profile/09047336871751054497noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-47537931375322332462012-05-12T20:24:42.295+05:302012-05-12T20:24:42.295+05:30बढ़िया गीत -
दर्शन अध्यात्म और शायद वियोग -भी
बहु...बढ़िया गीत -<br />दर्शन अध्यात्म और शायद वियोग -भी <br />बहुत बहुत परिश्रम से-<br />सुन्दर गीत पर <br />एक तुच्छ टिप्पणी |<br /><br />बंजारा जारा गया, यायावर मर जाय |<br />अमर आत्मा उड़नछू, पञ्च तत्व बिलगाय |<br /><br />पञ्च तत्व बिलगाय, दिवारों ने भरमाया |<br />गगन पवन छिति आग, नीर से बनती काया |<br /><br />नश्वर है घर देह, ख़ुशी से भोगे कारा |<br />रहे नहीं संदेह, गीत गा ले बंजारा ||रविकर https://www.blogger.com/profile/00288028073010827898noreply@blogger.com