tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post121125113644259593..comments2024-02-18T13:50:22.657+05:30Comments on अरुण कुमार निगम (हिंदी कवितायेँ): नारी – मत्तगयंद छंद सवैयाअरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)http://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comBlogger70125tag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-36462189372049103452018-03-22T15:33:21.797+05:302018-03-22T15:33:21.797+05:30 उत्कृष्ट जानकारी एवं श्रेष्ठ रचनाओं हेतु,हार्दिक ... उत्कृष्ट जानकारी एवं श्रेष्ठ रचनाओं हेतु,हार्दिक आभार एवं वंदन अरुण जी ।<br /> सादर <br /> श्याम मोहन नामदेवAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/07667053741191182640noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-82733147519138446592012-10-10T12:30:38.042+05:302012-10-10T12:30:38.042+05:30बहुत सुन्दर रचना , इसकी भाषा से इसकी सुंदरता में औ...बहुत सुन्दर रचना , इसकी भाषा से इसकी सुंदरता में और निखर आया है |<br /><br />सादर<br />-आकाशAkash Mishrahttps://www.blogger.com/profile/00550689302666626580noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-21419938461597286152012-10-10T09:36:20.883+05:302012-10-10T09:36:20.883+05:30एक उत्कृष्ट रचना हेतु आभार अरुण जी !एक उत्कृष्ट रचना हेतु आभार अरुण जी !धीरेन्द्र अस्थानाhttps://www.blogger.com/profile/14444695558664600159noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-47765166714941429902012-10-09T02:08:02.006+05:302012-10-09T02:08:02.006+05:30नारी की कुंडलियां कुंडल समान शोभा पा रही हैं । रवि...नारी की कुंडलियां कुंडल समान शोभा पा रही हैं । रविकर जी की और आपकी नोक झोंक काव्य-जुगलबन्दी तो बहुत ही प्यारी है । नारी भी इन्सान है कभी जल है तो कभी आग ।Asha Joglekarhttps://www.blogger.com/profile/05351082141819705264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-40431186342621569562012-10-08T23:15:57.186+05:302012-10-08T23:15:57.186+05:30इस कविता से पता चलता है कि आपके मन में महिलाओं के ...इस कविता से पता चलता है कि आपके मन में महिलाओं के लिए खास जगह है। स्त्रियों को ध्यालन में रखकर लिखी गई कविता बेहतरीन है। इस रफ्तर भरी सरपट भागती हुई जिंदगी में सित्रयों ही हैं जिन्हों ने अपने यहां संस्कृरति का कुछ हिस्सा संभाल कर रखा है। जबकि यह भी सच है कि सित्रयां हाशिये पर पड़ी है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-61405977857613002172012-10-08T19:58:33.707+05:302012-10-08T19:58:33.707+05:30तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी
तू...तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी<br />तू जग में बिटिया बनके , घर आंगन को महकावत नारी<br /><br />इस क्लासिकल छंद में आपने सुंदर भावों के मेल से एक श्रेष्ठ रचना का सृजन किया है।<br />बधाई, निगम जी।<br /><br />महेन्द्र वर्माhttps://www.blogger.com/profile/03223817246093814433noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-35483067931553910682012-10-08T10:09:00.216+05:302012-10-08T10:09:00.216+05:30नारी अब बलवान है ,पुरुष कांध टकराय
पुरषों की मरदान...नारी अब बलवान है ,पुरुष कांध टकराय<br />पुरषों की मरदानगी, पल में धूल चटाय <br />क्षेत्र समय औ काल में,नारी वर्जित नाय <br />घर में चूल्हा फूंकती, रण कौशल दिखलाय <br />काल बदलता जब गया नारी मान गवाँय<br />शासक दुर्जन जब बने, नारी भोग बनाय<br />पढना लिखना छिन गया छीना सब अधिकार <br />रूप पदमिनी धार के, दुर्गावती अवतार <br />रानी झांसी ने किया,जुल्मों का प्रतिकार <br />बंदूकें भी झुक गई, रानी की तलवार <br /> UMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-87525520492638201282012-10-08T10:06:03.217+05:302012-10-08T10:06:03.217+05:30This comment has been removed by the author.UMA SHANKER MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/06099647965326076377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-77177581344140839882012-10-08T08:05:14.522+05:302012-10-08T08:05:14.522+05:30हमारा आदर्श तो अर्द्ध -नारीश्वर का रूपक नटराज ही र...हमारा आदर्श तो अर्द्ध -नारीश्वर का रूपक नटराज ही रहें हैं .पुरुष में नारीत्व और नारी में पुरुषत्व होता है .पुरुष तो जैविक दृष्टिसे भी नारी गुणसूत्र एक्स लिए है वह (एक्स और वाई ) का जमा जोड़ है नारी एक्स और एक्स है .पेशीय बल प्रधान है पुरुष ,स्थूल रूप ज्यादा है नारी ऊर्जा का सूक्ष्म रूप का, प्रतीक है .पुरुष केवल जनक रूप ब्रह्मा है ,नारी पालक रूप विष्णु और कल्याण -कारी शिवरूप भी है .पेशीय बल कम है उसमें .गर्मी सर्दी सहने की ताकत ज्यादा .दोनों मिलकर ही परस्पर पूर्णता को प्राप्त होते हैं .virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-15898060378761762192012-10-08T07:53:15.934+05:302012-10-08T07:53:15.934+05:30नारी – मत्तगयंद छंद सवैया
तू जग की जननी बनके, मम...नारी – मत्तगयंद छंद सवैया<br />तू जग की जननी बनके, ममता दुइ हाथ लुटावत नारी<br />नेहमयी भगिनी बनके, यमुना - यम नेह सिखावत नारी<br />शैलसुता बन शंकर का, तप-जाप करे सुख पावत नारी<br />हीर बनी जब राँझन की, नित प्रेम -सुधा बरसावत नारी ||<br /><br />तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी<br />तू जग में बिटिया बनके , घर आंगन को महकावत नारी<br />कौन कहे तुझको अबला,अब जाग जरा मुसकावत नारी<br />वंश चले तुझसे दुनियाँ, तुझ सम्मुख शीश नवावत नारी ||<br /><br />नारी ब्रह्मा से बड़ी है वह तो सिर्फ सृष्टि का जनक है जेनरेटर है नारी पालक रूप विष्णु भी है कल्याणकारी शिव भी है .अपने अनजाने और अज्ञान वश कन्या भ्रूण ह्त्या करने वाले रुकें और सोचे . virendra sharmahttps://www.blogger.com/profile/02192395730821008281noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-73789949355307744822012-10-07T21:36:12.698+05:302012-10-07T21:36:12.698+05:30आदरणीय सत्य प्रकाश जी, हृदय से आभार.आदरणीय सत्य प्रकाश जी, हृदय से आभार.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-24800495523839955452012-10-07T21:35:09.968+05:302012-10-07T21:35:09.968+05:30बहुत-बहुत आभार आदरेया. अपरिहार्य कार्यालयीन व्यस्त...बहुत-बहुत आभार आदरेया. अपरिहार्य कार्यालयीन व्यस्ततावश ओबीओ पर नहीं आ सका.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-30848619995324379042012-10-07T21:33:03.643+05:302012-10-07T21:33:03.643+05:30धन्यवाद आदरणीय नवीन जी......धन्यवाद आदरणीय नवीन जी......अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-2495374366677512482012-10-07T21:32:09.147+05:302012-10-07T21:32:09.147+05:30आदरणीय ई.प्रदीप कुमार साहनी, बहुत-बहुत आभार. आदरणीय ई.प्रदीप कुमार साहनी, बहुत-बहुत आभार. अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-67491294744819563982012-10-07T21:30:34.574+05:302012-10-07T21:30:34.574+05:30आदरेया रचना जी, बहुत बहुत आभार.आदरेया रचना जी, बहुत बहुत आभार.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-63472683321109696042012-10-07T21:29:34.196+05:302012-10-07T21:29:34.196+05:30आदरेया, लम्बे समय के बाद आपकी उपस्थिति ने आल्हादित...आदरेया, लम्बे समय के बाद आपकी उपस्थिति ने आल्हादित कर दिया.आभार.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-16275746082275116192012-10-07T21:09:41.341+05:302012-10-07T21:09:41.341+05:30आदरणीय डॉ.श्याम गुप्ता जी, आपका आगमन मेरे लिये अति...आदरणीय डॉ.श्याम गुप्ता जी, आपका आगमन मेरे लिये अति आनंद का विषय है. आपके उत्साहवर्द्धन से नवीन उर्जा प्राप्त हुई. भाषिक व्याकरणीय दोष सहर्ष स्वीकार करता हूँ. इस हेतु हृदय से आभारी हूँ. सवैया छंद पर विगत कुछ समय से ही लिखना प्रारम्भ किया है.यह सच है कि गण पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित रहा.आपसे विनम्र अनुरोध है कि मेरी पिछली पोस्ट में भी दो-तीन सवैया हैं. कृपया उनके गुण-दोष से भी अवगत कराने का कष्ट करेंगे. आपका पुन: हृदय से आभार प्रकट करता हूँ.अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-44674414826428299632012-10-07T20:20:22.322+05:302012-10-07T20:20:22.322+05:30--- सुन्दर सवैया, भाव व विषय एवं प्रस्तुति....
---...--- सुन्दर सवैया, भाव व विषय एवं प्रस्तुति....<br />---बहुत सुन्दर वाद-विवाद चल रहा है नारी पर .... यह विषय है ही विविध-रंगों व्यंजनाओं की...मानवता का सबसे बड़ा यक्ष-प्रश्न ....<br />---जहाँ तक तकनीकी बात---अच्छा सवैया है ..गण आदि भी .. परन्तु ..प्रथम पंक्ति से ही ..भाषिक-व्याकरणीय दोष है... जो अधिकाँश पंक्तियों में है..<br />----तू जग की जननी बनके, ममता दुइ हाथ लुटावत नारी.<br />-- जब नारी को संबोधन है(तू) तो अंत में नारी शब्द की पुनरावृत्ति त्रुटि-पूर्ण है क्योंकि यह नारी शब्द समष्टि को संबोधन हुआ ...<br />-----वस्तुतः गण आदि पर अत्यधिक ध्यान केंद्रित करने से ये त्रुटियाँ प्रायः रह जाती हैं.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-83883674063634689012012-10-07T15:40:56.522+05:302012-10-07T15:40:56.522+05:30तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी
तू...तू लछमी सबके घर की , घर - द्वार सजात बनावत नारी<br />तू जग में बिटिया बनके , घर आंगन को महकावत नारी<br />कौन कहे तुझको अबला,अब जाग जरा मुसकावत नारी<br />वंश चले तुझसे दुनियाँ, तुझ सम्मुख शीश नवावत नारी ||<br />बहुत सुन्दर लिखा आपने...हार्दिक बधाईयां एवं शुभ कामनाएं अनुभूतिhttps://www.blogger.com/profile/17816337979760354731noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-22071051361023495532012-10-07T15:24:19.317+05:302012-10-07T15:24:19.317+05:30वाह वह अरुण जी बहुत ही खूबसूरत लिखा है बधाई आपको ओ...वाह वह अरुण जी बहुत ही खूबसूरत लिखा है बधाई आपको ओ बी ओ पर क्यूँ नहीं पोस्ट किया अभी तक Rajesh Kumarihttps://www.blogger.com/profile/04052797854888522201noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-14513361264424084312012-10-07T12:42:30.877+05:302012-10-07T12:42:30.877+05:30 शैलसुता बन शंकर का, तप-जाप करे सुख पावत नारी
हीर... शैलसुता बन शंकर का, तप-जाप करे सुख पावत नारी<br />हीर बनी जब राँझन की, नित प्रेम -सुधा बरसावत नारी ||<br /> <br /><br />bhai nigam sahab bahut hi sundar chhand padhane ko mila behad prabhavshali rachana lagi ....ravikar ji ki rachana bhi padhi ....bs apki rachana padh kr aanand aa gya ...aabhar sir .Naveen Mani Tripathihttps://www.blogger.com/profile/12695495499891742635noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-53123315370096102022012-10-07T11:57:57.479+05:302012-10-07T11:57:57.479+05:30बहुत ही सुंदर प्रस्तुति |
नारी के ही एक रूप को मै...बहुत ही सुंदर प्रस्तुति |<br /><br />नारी के ही एक रूप को मैंने भी दिखने की कोशिश की है | कृपया देखें और मार्गदर्शन करें |<br />नई पोस्ट:- <a href="http://pradip13m.blogspot.com/2012/10/blog-post_6.html" rel="nofollow"><b>वो औरत</b></a><br /><br />आभार |Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12634209491911135236noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-79248988698920152272012-10-07T11:39:24.124+05:302012-10-07T11:39:24.124+05:30नारी के विभिन्न रूपों की अपनी अहमियत है. सुंदर प्र...नारी के विभिन्न रूपों की अपनी अहमियत है. सुंदर प्रस्तुति.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-86385552210266688912012-10-07T11:32:40.604+05:302012-10-07T11:32:40.604+05:30सार्थक पोस्ट.....सार्थक पोस्ट.....Dr Varsha Singhhttps://www.blogger.com/profile/02967891150285828074noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6932795526794147701.post-39857178254514566482012-10-07T10:10:25.959+05:302012-10-07T10:10:25.959+05:30वाद-विवाद है चल रहा,समझें नहीं विवाद
सुलझे कोई म...वाद-विवाद है चल रहा,समझें नहीं विवाद<br />सुलझे कोई मामला , जब होवे संवाद<br />जब होवे संवाद , तभी हल निकले कोई<br />खरपतवार को फेंक , काटिये उत्तम बोई<br />मक्खन मंथन से निकला पावन प्रसाद है<br />समझें नहीं विवाद,चल रहा वाद-विवाद है ||<br />अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com)https://www.blogger.com/profile/11022098234559888734noreply@blogger.com