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Friday, October 27, 2017

यमक और रूपक अलंकार

*यमक अलंकार - जब एक शब्द, दो या दो से अधिक बार अलग-अलग अर्थों में प्रयुक्त हो*।

*दोहा छन्द* -
(1)
मत को मत बेचो कभी, मत सुख का आधार
लोकतंत्र का मूल यह, निज का है अधिकार ।।
(2)
भाँवर युक्त कपोल लख, अंतस जागी चाह
भाँवर पूरे सात लूँ, करके उससे ब्याह ।।

*रूपक अलंकार - जब उपमेय पर उपमान का आरोप किया जाए अर्थात उपमेय और उपमान में कोई अंतर दिखाई न दे*।

*रोला छन्द* -
(1)
नयन-झील में डूब, प्रेम-मुक्ता पा जाऊँ
छूटे जग-जंजाल, आरती पिय की गाऊँ।
यही कामना आज, हृदय में मेरे जागी
पिय को दो संदेश, हुआ है मन अनुरागी।।
(2)
अधर-पाँखुरी देख, हृदय-भँवरा ललचाया
करने को रसपान, निकट चुपके से आया।
सखि-कंटक चहुँओर, करे कैसे मनचीता
उहापोह में हाय, समय सारा ही बीता ।।

*अरुण कुमार निगम*

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